Charan Pahadi Darshan
After Shri Krishna entered the cave known as Luk Luka Khandar, He appeared on top of the hill in which the cave is buried and played sweetly on His flute. The sound of the flute broke the sakhis meditation on Him. They looked up to see their beloved playing His flute on the hill, and eagerly ran there to meet Him. The sound of the flute somewhat melted the hill, and Shri Krishna's footprints manifested there. Even today, one can see these footprints very clearly. The stones on the nearby hill where the sakhas were playing and the calves were grazing also melted, leaving impressions of their feet and hooves, which are still clearly visible today, even after 5,000 years.
चरण पहाड़ी ब्रजमण्डल के प्रसिद्ध काम्यवन में स्थित है। इस पहाड़ी का सम्बंध भगवान श्रीकृष्ण से बताया जाता है।
गोचारण करते समय कभी श्रीकृष्ण अपने सखाओं को खेलते हुए छोड़कर कुछ समय के लिए एकान्त में इस परम रमणीय स्थान पर गोपियों से मिले। वे उन ब्रज-रमणियों के साथ यहाँ पर लुका-छिपी की क्रीड़ा करने लगे। सब गोपियों ने अपनी-अपनी आँखें मूँद लीं और कृष्ण निकट ही पर्वत की एक कन्दरा में प्रवेश कर गये। सखियाँ चारों ओर खोजने लगीं, किन्तु कृष्ण को ढूँढ़ नहीं सकीं। वे बहुत ही चिन्तित हुई कि कृष्ण हमें छोड़कर कहाँ चले गये? वे कृष्ण का ध्यान करने लगीं, जहाँ पर वे बैठकर ध्यान कर रही थीं, वह स्थल 'ध्यान कुण्ड' है। जिस कन्दरा में कृष्ण छिपे थे, उसे 'लुकलुक कन्दरा' कहते हैं।